गुरु पूर्णिमा पर पूजन एवं उपाय – करें श्रद्धा से साधना, जीवन में आएगा चमत्कारी बदलाव



गुरु पूर्णिमा हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। यह दिन गुरु को समर्पित होता है, जिनके बिना ज्ञान, मार्गदर्शन और आत्मबोध संभव नहीं। इस दिन किए गए विशेष पूजन, व्रत एवं उपाय से न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलता है, बल्कि जीवन की अनेक बाधाएं भी दूर होती हैं।

गुरु पूर्णिमा के दिन पूजन विधि

  1. प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  2. अपने गुरु, ईष्ट या भगवान विष्णु/शिव की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।

  3. पुष्प, अक्षत, चंदन, धूप-दीप आदि से पूजन करें।

  4. गुरु मंत्र या कोई एक विशिष्ट मंत्र का जाप करें:

    • "गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वर:।
      गुरु: साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नम:॥"

  5. अपने गुरु के चरणों में दक्षिणा, फल व वस्त्र अर्पित करें (यदि संभव हो तो गुरु के दर्शन करें)।

 गुरु पूर्णिमा पर किए जाने वाले विशेष उपाय

1.  गुरु ग्रह दोष निवारण के लिए

  • इस दिन पीले वस्त्र पहनें और गुरु बृहस्पति मंत्र का जाप करें:

    • “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” – 108 बार।

  • किसी गरीब ब्राह्मण को चने की दाल, हल्दी और पीले वस्त्र दान करें।

2.  आर्थिक समृद्धि के लिए

  • विष्णु भगवान को पीले फूल और तुलसी पत्र अर्पित करें।

  • केले के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाकर विष्णु सहस्त्रनाम पढ़ें।

3. गुरु कृपा प्राप्ति हेतु

  • अपने जीवन के वास्तविक गुरु का आशीर्वाद लें।

  • यदि कोई गुरु नहीं है, तो भगवान दत्तात्रेय या श्री रामकृष्ण परमहंस की पूजा करें।

  • "ॐ गुरवे नमः" का जाप कम से कम 108 बार करें।

4. ध्यान और साधना का शुभ आरंभ

  • यह दिन नवीन साधना या योगाभ्यास शुरू करने के लिए अत्यंत शुभ होता है।

  • सुबह 4–6 बजे के बीच ब्राह्म मुहूर्त में ध्यान करें।


 इस दिन क्या न करें?

  • मांसाहार, नशा और गलत वाणी से बचें।

  • गुरु या माता-पिता का अपमान न करें।

  • आलस्य न करें — यह दिन जागृति और आत्मसुधार का प्रतीक है।

गुरु पूर्णिमा न केवल परंपरा का पर्व है, बल्कि यह आध्यात्मिक ऊर्जा का एक सशक्त दिन है। अगर इस दिन विधिवत पूजन और उपाय किए जाएं, तो जीवन में सकारात्मकता, शांति और सफलता निश्चित रूप से बढ़ती है।

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