गुरु पूर्णिमा के दिन पूजन विधि
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प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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अपने गुरु, ईष्ट या भगवान विष्णु/शिव की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
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पुष्प, अक्षत, चंदन, धूप-दीप आदि से पूजन करें।
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गुरु मंत्र या कोई एक विशिष्ट मंत्र का जाप करें:
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"गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वर:।
गुरु: साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नम:॥"
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अपने गुरु के चरणों में दक्षिणा, फल व वस्त्र अर्पित करें (यदि संभव हो तो गुरु के दर्शन करें)।
गुरु पूर्णिमा पर किए जाने वाले विशेष उपाय
1. गुरु ग्रह दोष निवारण के लिए
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इस दिन पीले वस्त्र पहनें और गुरु बृहस्पति मंत्र का जाप करें:
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“ॐ बृं बृहस्पतये नमः” – 108 बार।
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किसी गरीब ब्राह्मण को चने की दाल, हल्दी और पीले वस्त्र दान करें।
2. आर्थिक समृद्धि के लिए
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विष्णु भगवान को पीले फूल और तुलसी पत्र अर्पित करें।
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केले के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाकर विष्णु सहस्त्रनाम पढ़ें।
3. गुरु कृपा प्राप्ति हेतु
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अपने जीवन के वास्तविक गुरु का आशीर्वाद लें।
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यदि कोई गुरु नहीं है, तो भगवान दत्तात्रेय या श्री रामकृष्ण परमहंस की पूजा करें।
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"ॐ गुरवे नमः" का जाप कम से कम 108 बार करें।
4. ध्यान और साधना का शुभ आरंभ
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यह दिन नवीन साधना या योगाभ्यास शुरू करने के लिए अत्यंत शुभ होता है।
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सुबह 4–6 बजे के बीच ब्राह्म मुहूर्त में ध्यान करें।
इस दिन क्या न करें?
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मांसाहार, नशा और गलत वाणी से बचें।
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गुरु या माता-पिता का अपमान न करें।
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आलस्य न करें — यह दिन जागृति और आत्मसुधार का प्रतीक है।